Saturday, January 3, 2015

Shradhanjali

उंगुली पकड़ कर चलना शिखलाया,
हाथ पकड़ कर राह दिखलाया,
जीवन के हर क्षेत्र में 
उन्होंने हमे अग्रणी बनाया। 

जीवन मृत्यु के परम सत्य को
कौन आज तक समझ पाया,
और इस अभेद चक्र को 
कौन आज तक भेद पाया। 

जीवन जो प्रारम्भ हुआ 
उसका तोह अंत जाना था ,
और परम सत्य में उसको 
एक दिन विलीन हो जाना था। 

वह प्रकाश जिससे हमारे संसार में हमेशा रौशनी बानी रही,
उस प्रकाश की आज हम सबको कमी खल रही,
हम आशा करते है की वह प्रकाश एक तारा बने,
जो इस अंधकार में जगमगाते हुए सदा हमे राह दिखाए। 

~ स्नेह, प्रकाश और सत्य;
एक अज्ञात कवि। 

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