वह कहते है की सोना महंगा हो गया है ,
सोना क्या, यहाँ जीना महंगा हो गया है,
चार का चावल आज चालीस में बिक रहा है,
दो वक़्त की रोटी के लिए, आज पूरा इंसान बिक है।
पर क्या जीना और सोना,
सच में महंगा हो गया है?
पाँच रुपये में,
रस्सी का फन्दा बांध,
ज़िन्दगी का कर अंत,
हम अंतकाल तक सो सकते है।
जीने का तोह पता नहीं,
पर बरसो बाद आज, ज़िन्दगी और सोना सस्ता हुआ है।
~स्नेह, प्रकाश, और सत्य;
हसरत बनारसी
सोना क्या, यहाँ जीना महंगा हो गया है,
चार का चावल आज चालीस में बिक रहा है,
दो वक़्त की रोटी के लिए, आज पूरा इंसान बिक है।
पर क्या जीना और सोना,
सच में महंगा हो गया है?
पाँच रुपये में,
रस्सी का फन्दा बांध,
ज़िन्दगी का कर अंत,
हम अंतकाल तक सो सकते है।
जीने का तोह पता नहीं,
पर बरसो बाद आज, ज़िन्दगी और सोना सस्ता हुआ है।
~स्नेह, प्रकाश, और सत्य;
हसरत बनारसी